सजा-ए मौत -किरण चव्हाण.

'पुलवामा में हमारे वीर जवानों पर उन गद्दारों ने पीठ पीछे हमला किया और बड़ी संख्या में हमारे वीर जवान शहीद हो गए उन शहीद जवानों के भावपूर्ण आदरांजली और उनके प्रति ये रचना समर्पित..' ' सजा-ए -मौत' ए दहशतवादी गद्दार साले पीठ पीछे वार करते है | अरे हमारे मुल्क में मच्छर भी सामने से काटते है | कैसे कहूँ दुर्भाग्य है उस धरती का जिसमे पैदा हुई ऐसी जिंदा लाशें | हमारे गटर में पैदा हुए किडे-मकोडे भी है तुमसे बेहतर | तुम जिंदा मुर्दों की बात क्या करें, तुम तो मानव जाती पर कलंक हो | क्या औकात हैं तुम्हारी ? कभी पूछो अपने जन्म देने वाली माँ को, शरम आती होगी, पछताई होगी अपने आप पर जो पैदा हुआ ऐसा पाप अपनी कोकसें | किसी कोने में छीपकर हमें धमकाने वाले..नहीं हम कुछ नहीं कहेंगे | क्योंकी तुम्हे मालूम है,खुद अपने आपको तुम हो डरपोक अपनी दुम टांगो में लेकर किसी आडसे भौंकनेवाले... अरे हमारे घर के पालतू कुत्तेभी ईमानदारीसे जीते हैं और सामनेसे भौंकते हैं | सामने आने की हिम्मत नही होती इसलिए पीछे से आते हो बार बार, पीठ पर वार करने की आदतें हैं तुम्हारी नाम...